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Rahat Indori Famous Shayari In Hindi | राहत इंदौरी की मशहूर शायरी, Rahat Indori Famous Shayari, Rahat Indori Shayari in Hindi

 



Rahat Indori Famous Shayari — दोस्तों इस पोस्ट में आपके लिए कुछ Famous Rahat Indori Shayari in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी शायरी राहत इंदौरी साहब द्वारा लिखी गई हैं. यहाँ पर दिए गए सभी Rahat Indori Shayri आपको बहुत ही पसंद आयगी.

राहत कुरैशी, जिन्हें बाद में राहत इंदौरी के नाम से जाना गया, का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में रफतुल्लाह कुरैशी (एक कपड़ा मिल मजदूर) और उनकी पत्नी मकबूल उन निसा बेगम के यहाँ हुआ था। वह उनकी चौथी संतान थे। राहत इंदौरी ने अपनी स्कूली शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर से की, जहाँ से उन्होंने अपनी उच्च माध्यमिक पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1973 में इस्लामिया करीमिया कॉलेज, इंदौर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में स्वर्ण पदक के साथ एमए किया है।

राहत इंदौरी द्वारा लिखित कुछ प्रसिद्ध गीत:

  1. तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम
  2. एम बोले तो (मुन्ना भाई एमबीबीएस)
  3. चोरी चोरी जब नजरें मिली
  4. देखो देखो जानम हम
  5. नींद चुराई मेरी
  6. कोई जाये तो ले आये

बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,

जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।

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आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,

लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।

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मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,

इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।

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फूलो की दुकाने खोलो, खुशबू का व्यापार करो

इश्क खता हैं, तो ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो।

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उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो

धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है

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शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम

आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे

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रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है

चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

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हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे

कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

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ना हम-सफ़र ना किसी हम-नशीं से निकलेगा

हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा।

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दो ग़ज सही ये मेरी मिल्कियत तो है

ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।

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मैं वो दरिया हूँ की हर बूंद भँवर है जिसकी,

तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।

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मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को

समझ रही थी की ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे।

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प्यास तो अपनी सात समन्दर जैसी थी,

ना हक हमने बारिश का अहसान लिया।

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फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया

ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं।

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एक ही नदी के है यह दो किनारे दोस्तो

दोस्ताना ज़िन्दगी से, मौत से यारी रखो।

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आँखों में पानी रखो होठों पे चिंगारी रखो

जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।

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लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है

इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है।

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ज़ुबाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे

मैं कितनी बार लूटा हूँ मुझे हिसाब तो दे।

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