एक टीचर अपने छात्रों को प्रकृति का नियम की व्यावहारिक (practical) शिक्षा देने के लिए स्कूल की लैब में लेकर जाता है वहां सभी छात्रों बड़ी उत्सुकता के साथ प्रोजेक्ट में भाग लेते है, उस लेब में टीचर ने तितली के दो छोटे — छोटे अण्डे ( cocoon ) रखे थे, जिनमें से कुछ ही समय में बच्चे बाहर निकलने वाले थे उन अण्डों के अंदर के बच्चो की सारी हलचल वहां लगे कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखाई दे रही थी,जिसमें तितली का बच्चा अण्डे के अंदर काफी देर से तड़प रहा था और उस अंडे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। वह अपने छोटे छोटे पंख खोलने का प्रयास कर रहा था पर अण्डे से बाहर नहीं निकल पा रहा था और ना ही अण्डे को तोड़ पा रहा था।
सारी एक्टिविटीज स्टूडेंट और टीचर कंप्यूटर पर देख रहे थे, तभी टीचर को प्रिंसिपल का बुलावा आता है, टीचर जाने से पहले सभी स्टूडेंट से कहता है — “ आप सभी लोग इस अण्डे को देखो और अण्डे से बच्चे के बाहर आने का इंतजार करो। मै sir से मिलकर आता हूं।”
यह कहकर टीचर वहां से चले जाते है, सभी बच्चे कंप्यूटर स्क्रीन पर उस तितली के बच्चे को तड़पता हुआ और फड़फड़ाते हुए देखते है, काफी देर हो जाने के बाद भी बच्चा अण्डे से बाहर नहीं निकल पा रहा था।
वही उस अण्डे के पास खड़े एक बच्चे को उस अण्डे के अंदर तितली के बच्चे को तड़पता देख बड़ी दया आती है, वह अपने पेन से अण्डे को धिरे से मारता है ताकि बच्चा अण्डे से बाहर आ पाए।
अंडा टूट जाता है तितली का बच्चा अण्डे से बाहर आ जाता है और उड़ने का प्रयास करता है, लेकिन उसके पंख काफी कमजोर थे। वह जमीन से टकराकर टूट जाते है, वह बच्चा उड़ नहीं पाता और कुछ ही देर मे मर जाता है। बच्चो में हलचल शुरु हो जाती है , तभी टीचर आ जाते है और देखते है कि तितली का बच्चा मर चुका है टीचर पूछता है — “ यह बच्चा कैसे मर गया ?
रोहन उदास हो कर — “ सर वह बच्चा अण्डे से निकल नहीं पा रहा था मैने तो उसकी मदद की थी।”
टीचर — “ तुमने मदद कैसे की ?”
रोहन — “ मैंने उस अण्डे को अपने पेन से धीरे से तोड़ दिया ताकि बच्चा बाहर आ पाए, पर वह बाहर आकर मर गया।”
टीचर ने बच्चे को दुखी होते देख कहा — “ चलो कोई बात नहीं।”
इतने में दूसरे अण्डे मे भी वैसी ही हलचल दिखाई देती है, सभी लोग उस बच्चे को कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते है। वह भी स्ट्रगल करता है, पंख बार बार हिलाने की कोशिश करता है और अण्डे से बाहर आना चाहता है, लेकिन वह भी आसानी से अण्डे को नहीं तोड़ पाता है।
काफी देर के बाद धीरे — धीरे बच्चा अण्डे से बाहर आता है।
अपने पंख हिलाने का प्रयास करता है और कुछ ही देर में लेब में इधर उधर उड़ना शुरु कर देता है। सभी बच्चे उसे देखकर बड़ा खुश हो जाते है।
अब टीचर सभी बच्चो को law of nature समझाते हुए कहते है — “ संघर्ष प्रकृति का नियम है जब कोई भी जीव या व्यक्ति संघर्ष करता है तो उसके अंदर छुपे हुए बहुत से गुण निकलकर बाहर आ जाते है। पहले वाला बच्चा अण्डे से आसानी से बाहर आ गया इसलिए उसमें बाहर के माहौल में जीने के गुणो का विकास नहीं हो पाया।
जबकि दूसरे बच्चे ने अपने आप को इतना मजबूत बना लिया कि वह बाहर की दुनिया में जी पाए।”
“ जरुरत से ज्यादा मदद हमे हमेशा के लिए उन गुणों से दूर कर देती है जो हमारे अंदर होते है, यही प्रकृति का नियम है।”
Moral — दोस्तों यह law ( नियम ) हमारे ऊपर भी लागू होता है। हमें कभी भी जरुरत से ज्यादा किसी की मदद नहीं लेना चाहिए और न हीं करना चाहिए। बल्कि संघर्ष करके नए रास्ते ढूँढना चाहिए।